'ज़फ़र' है बेहतरी इस में कि मैं ख़मोश रहूँ By Sher << किस नाज़ से कहते हैं वो झ... हमें मालूम है हम से सुनो ... >> 'ज़फ़र' है बेहतरी इस में कि मैं ख़मोश रहूँ खुले ज़बान तो इज़्ज़त किसी की क्या रह जाए Share on: