'ज़फ़र' वहाँ कि जहाँ हो कोई भी हद क़ाएम By Sher << कुछ इलाहाबाद में सामाँ नह... हमीं जब न होंगे तो क्या र... >> 'ज़फ़र' वहाँ कि जहाँ हो कोई भी हद क़ाएम फ़क़त बशर नहीं होता ख़ुदा भी होता है Share on: