सदाएँ डूब जाती हैं हवा के शोर में और मैं By Sher << भूले से कहा मान भी लेते ह... बरून-ए-ख़ाक फ़क़त चंद ठेक... >> सदाएँ डूब जाती हैं हवा के शोर में और मैं गली-कूचों में तन्हा चीख़ता रहता हूँ बारिश में Share on: