सदाएँ एक सी यकसानियत में डूब जाती हैं By Sher << शोर सा एक हर इक सम्त बपा ... परिंदा जानिब-ए-दाना हमेशा... >> सदाएँ एक सी यकसानियत में डूब जाती हैं ज़रा सा मुख़्तलिफ़ जिस ने पुकारा याद रहता है Share on: