सदियों से किनारे पे खड़ा सूख रहा है By Sher << शब ख़्वाब में जो उस के दह... उसे कहो जो बुलाता है गहरे... >> सदियों से किनारे पे खड़ा सूख रहा है इस शहर को दरिया में गिरा देना चाहिए Share on: