सफ़र में अब मुसलसल ज़लज़ले हैं By Sher << कहती है ये शाम की नर्म हव... तासीर नहीं रहती अल्फ़ाज़ ... >> सफ़र में अब मुसलसल ज़लज़ले हैं वो रुक जाएँ जिन्हें गिरने का डर है Share on: