सफ़र-गिरफ़्ता रहे कुश्तगान-ए-नान-ओ-नमक By Sher << तंग आ गया हूँ वुस्अत-ए-मफ... टलना था मेरे पास से ऐ काह... >> सफ़र-गिरफ़्ता रहे कुश्तगान-ए-नान-ओ-नमक हमारे हक़ में कोई फ़ैसला न करता था Share on: