सहर होते ही जैसे रेत भर जाती है साँसों में By Sher << तितलियाँ फूल में क्या ढूँ... रहना पल पल ध्यान में >> सहर होते ही जैसे रेत भर जाती है साँसों में नसीम-ए-हिज्र तेरे ज़ाइक़े अच्छे नहीं लगते Share on: