सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को By Sher << तमाम नाख़ुदा साहिल से दूर... पेड़ मुझे हसरत से देखा कर... >> सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को हाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है Share on: