सहव और सुक्र में रहते हैं तभी तो फ़ुक़रा By Sher << सैल-ए-गिर्या का मैं ममनूँ... सहराइयान-ए-पूरब क्या जानत... >> सहव और सुक्र में रहते हैं तभी तो फ़ुक़रा क्यूँकि आलम है अजब बे-ख़बरी का आलम Share on: