ऐ शम्अ' अहल-ए-बज़्म तो बैठे ही रह गए By Sher << गर न समझा तो 'नीरज... कल तिरे एहसास की बारिश तल... >> ऐ शम्अ' अहल-ए-बज़्म तो बैठे ही रह गए कहने की थी जो बात वो परवाना कह गया Share on: