सैलाब-ए-ज़िंदगी के सहारे बढ़े चलो By Sher << मैं उसे कैसे जीत सकता हूँ अज़ीज़ो इस को न घड़ियाल क... >> सैलाब-ए-ज़िंदगी के सहारे बढ़े चलो साहिल पे रहने वालों का नाम-ओ-निशाँ नहीं Share on: