सज दिया हैरत-ए-उश्शाक़ ने इस बुत का मकाँ By Sher << कल हम आईने में रुख़ की झु... ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर... >> सज दिया हैरत-ए-उश्शाक़ ने इस बुत का मकाँ क़द्द-ए-आदम हैं लगे आइने दीवारों में Share on: