सज़ा तो मिलना थी मुझ को बरहना लफ़्ज़ों की By Sher << ये जो फूलों से भरा शहर हु... कब तक यक़ीन इश्क़ हमें ख़... >> सज़ा तो मिलना थी मुझ को बरहना लफ़्ज़ों की ज़बाँ के साथ लबों को रफ़ू भी होना था Share on: