सज्दे मिरी जबीं के नहीं इस क़दर हक़ीर By Sher << हो गया जिस दिन से अपने दि... मुझे ख़बर है क्या कुछ है ... >> सज्दे मिरी जबीं के नहीं इस क़दर हक़ीर कुछ तो समझ रहा हूँ तिरे आस्ताँ को मैं Share on: