सख़्त है हैरत हमें जो ज़ेर-ए-अबरू ख़ाल है By Sher << तश्हीर तो मक़्सूद नहीं क़... किस ने पाया सुकून दुनिया ... >> सख़्त है हैरत हमें जो ज़ेर-ए-अबरू ख़ाल है हम तो सुनते थे कि का'बे में कोई हिन्दू नहीं Share on: