सख़्त सर्दी में ठिठुरती है बहुत रूह मिरी By Sher << सख़्त तकलीफ़ उठाई है तुझे... सब के जैसी न बना ज़ुल्फ़ ... >> सख़्त सर्दी में ठिठुरती है बहुत रूह मिरी जिस्म-ए-यार आ कि बेचारी को सहारा मिल जाए Share on: