समझो पत्थर की तुम लकीर उसे By Sher << साक़िया तिश्नगी की ताब नह... साफ़ कह दीजिए वादा ही किय... >> समझो पत्थर की तुम लकीर उसे जो हमारी ज़बान से निकला Share on: