संग-ए-रह हूँ एक ठोकर के लिए By Sher << पहले तो छीन ली मिरी आँखों... हम इश्क़ तेरे हाथ से क्या... >> संग-ए-रह हूँ एक ठोकर के लिए तिस पे वो दामन सँभाल आता है आज Share on: