उस के सुनने के लिए जम'अ हुआ है महशर By Sher << क़ुल्ज़ुम-ए-फ़िक्र में है... दीं क्यों कि न वो दाग़-ए-... >> उस के सुनने के लिए जम'अ हुआ है महशर रह गया था जो फ़साना मिरी रुस्वाई का Share on: