सर काट क्यूँ जलाते हैं रौशन दिलाँ के तईं By Sher << लोगो! हम परदेसी हो कर जान... वक़्त की मौज हमें पार लगा... >> सर काट क्यूँ जलाते हैं रौशन दिलाँ के तईं आहन-दिली पे ख़ल्क़ की ख़ंदाँ हूँ मिस्ल-ए-शम्अ' Share on: