सर रख के सो गया हूँ ग़मों की सलीब पर By Sher << हाए बे-दाद-ए-मोहब्बत कि य... था जहाँ मय-ख़ाना बरपा उस ... >> सर रख के सो गया हूँ ग़मों की सलीब पर शायद कि ख़्वाब ले उड़ें हँसती फ़ज़ाओं में Share on: