सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता By Sher << ये अलग बात है साक़ी कि मु... नज़र-ए-तग़ाफ़ुल-ए-यार का ... >> सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता the veil slips from her visage at such a gentle pace as though the sun emerges from a cloud's embrace Share on: