सर-ए-शाम लुट चुका हूँ सर-ए-आम लुट चुका हूँ By Sher << इज़्ज़त का है न औज न नेकी... दुनिया ये दुखी है फिर भी ... >> सर-ए-शाम लुट चुका हूँ सर-ए-आम लुट चुका हूँ कि डकैत बन चुके हैं कई शहर के सिपाही Share on: