सारी गली सुनसान पड़ी थी बाद-ए-फ़ना के पहरे में By Sher << मेरी रुस्वाई में वो भी है... हर इक मकान को है मकीं से ... >> सारी गली सुनसान पड़ी थी बाद-ए-फ़ना के पहरे में हिज्र के दालान और आँगन में बस इक साया ज़िंदा था Share on: