पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर By Sher << कुछ ऐसे देखता है वो मुझे ... हर चीज़ नहीं है मरकज़ पर ... >> पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर इक कशिश महताब जैसी चेहरा-ए-दिलबर में थी Share on: