सौ बार टूटने पे भी हारा नहीं हूँ मैं By Sher << उस ने इतना किया नज़र-अंदा... पहले रुख़्सत हुई चमन से ब... >> सौ बार टूटने पे भी हारा नहीं हूँ मैं मिट्टी का इक चराग़ हूँ तारा नहीं हूँ मैं Share on: