सौ मिलीं ज़िंदगी से सौग़ातें By Sher << गर्मी से मुज़्तरिब था ज़म... अभी से वो दामन छुड़ाने लग... >> सौ मिलीं ज़िंदगी से सौग़ातें हम को आवारगी ही रास आई Share on: