'सौदा' तू इस ग़ज़ल को ग़ज़ल-दर-ग़ज़ल ही कह By Sher << मिरा कुछ रास्ते में खो गय... सुन के सारी दास्तान-ए-रंज... >> 'सौदा' तू इस ग़ज़ल को ग़ज़ल-दर-ग़ज़ल ही कह होना है तुझ को 'मीर' से उस्ताद की तरफ़ Share on: