सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की है By Sher << मैं तमाम तारे उठा उठा के ... मेरी सारी ज़िंदगी को बे-स... >> सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की है ऐ बे-ख़बर जज़ा की तमन्ना भी छोड़ दे Share on: