सायों की ज़द में आ गईं सारी ग़ुलाम-गर्दिशें By Sher << सब का ही नाम लेते हैं इक ... दीदार का मज़ा नहीं बाल अप... >> सायों की ज़द में आ गईं सारी ग़ुलाम-गर्दिशें अब तो कनीज़ के लिए राह-ए-फ़रार भी नहीं Share on: