हाए 'सीमाब' उस की मजबूरी By Sher << इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात... बीनाई भी क्या क्या धोके द... >> हाए 'सीमाब' उस की मजबूरी जिस ने की हो शबाब में तौबा Share on: