शब को इक बार खुल के रोता हूँ By Sher << उम्र भर जंगल में रह सकता ... मुझे कुछ देर रुकना चाहिए ... >> शब को इक बार खुल के रोता हूँ फिर बड़े सुख की नींद सोता हूँ Share on: