शबिस्ताँ में रहो बाग़ों में खेलो मुझ से क्यूँ पूछो By Sher << रोज़ मिलने पे भी लगता था ... जो होने वाला है अब उस की ... >> शबिस्ताँ में रहो बाग़ों में खेलो मुझ से क्यूँ पूछो कि रातें किस तरह कटती हैं दिन कैसे गुज़रते हैं Share on: