कुछ ऐसा कर कि ख़ुल्द आबाद तक ऐ 'शाद' जा पहुँचें By Sher << लहद में क्यूँ न जाऊँ मुँह... ख़ारों से ये कह दो कि गुल... >> कुछ ऐसा कर कि ख़ुल्द आबाद तक ऐ 'शाद' जा पहुँचें अभी तक राह में वो कर रहे हैं इंतिज़ार अपना Share on: