शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को By Sher << मेरे घर में ग़ैर के डर से... कोई मुझ तक पहुँच नहीं पात... >> शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को Share on: