शगुफ़्ता लफ़्ज़ लिक्खे जा रहे हैं By Sher << 'जौहर' तुम्हें नफ... रात के शायद एक बजे हैं >> शगुफ़्ता लफ़्ज़ लिक्खे जा रहे हैं मगर लहजों में वीरानी बहुत है Share on: