शहर ख़्वाबों का सुलगता रहा और शहर के लोग By Sher << शिव तो नहीं हम फिर भी हम ... पकड़ने वाले हैं सब ख़ेमे ... >> शहर ख़्वाबों का सुलगता रहा और शहर के लोग बे-ख़बर सोए हुए अपने मकानों में मिले Share on: