शहर ये सायों का है इस में बनी-आदम कहाँ By Sher << तिरे हाथों में है तिरी क़... सर पर गिरे मकान का मलबा ह... >> शहर ये सायों का है इस में बनी-आदम कहाँ अब किसी सूरत यहाँ इंसान होना चाहिए Share on: