गँवाए बैठे हैं आँखों की रौशनी 'शाहिद' By Sher << इस क़दर ग़ौर से देखा है स... नादाँ से एक उम्र रहा मुझ ... >> गँवाए बैठे हैं आँखों की रौशनी 'शाहिद' जहाँ-पनाह का इंसाफ़ देखने वाले Share on: