शैख़ पर हाथ उठाने के नहीं हम क़ाएल By Sher << लज़्ज़त-ए-वस्ल से भी बढ़ ... 'शाद' ग़ैर-मुमकिन... >> शैख़ पर हाथ उठाने के नहीं हम क़ाएल हाथ उठाने की जो ठानी है तो बातिल से उठा Share on: