ब-तंग आया हूँ इस जाहिल के हाथों इस क़दर 'हातिम' By Sher << जब भी आता है मिरा नाम तिर... यूँही रुका था दम लेने को,... >> ब-तंग आया हूँ इस जाहिल के हाथों इस क़दर 'हातिम' कि पानी में किताबों के डुबोने की नहीं फ़ुर्सत Share on: