'शकेब' अपने तआरुफ़ के लिए ये बात काफ़ी है By Sher << सोचो तो सिलवटों से भरी है... रहता था सामने तिरा चेहरा ... >> 'शकेब' अपने तआरुफ़ के लिए ये बात काफ़ी है हम उस से बच के चलते हैं जो रस्ता आम हो जाए Share on: