जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील' By Sher << शहज़ादी तुझे कौन बताए तेर... सभी ज़िंदगी पे फ़रेफ़्ता ... >> जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील' मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया whenever talk of happiness i hear my failure and frustration makes me weep Share on: