शम्अ का शाना-ए-इक़बाल है तौफ़ीक़-ए-करम By शम्अ, Sher << न हारा है इश्क़ और न दुनि... कुछ इस तरह से वो शामिल हु... >> शम्अ का शाना-ए-इक़बाल है तौफ़ीक़-ए-करम ग़ुंचा गुल होते ही ख़ुद साहब-ए-ज़र होता है Share on: