शाम-ए-हिज्राँ भी इक क़यामत थी By Sher << मर ही कर उट्ठेंगे तेरे दर... छोटी सी एक बात मिरी फैलती... >> शाम-ए-हिज्राँ भी इक क़यामत थी आप आए तो मुझ को याद आया Share on: