शाएरी तो वारदात-ए-क़ल्ब की रूदाद है By Sher << तन्हा खड़ा हूँ मैं भी सर-... इक ख़ौफ़ सा दरख़्तों पे त... >> शाएरी तो वारदात-ए-क़ल्ब की रूदाद है क़ाफ़िया-पैमाई को मैं शाएरी कैसे कहूँ Share on: