शरीक वो भी रहा काविश-ए-मोहब्बत में By Sher << हम ने तो बाज़ार में दुनिय... कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र न... >> शरीक वो भी रहा काविश-ए-मोहब्बत में शुरूअ उस ने किया था तमाम मैं ने किया Share on: