शायद अगली इक कोशिश तक़दीर बदल दे By Sher << दिल को तुम शौक़ से ले जाओ... जितना आँख से कम देखूँ >> शायद अगली इक कोशिश तक़दीर बदल दे ज़हर तो जब जी चाहे खाया जा सकता है Share on: