शायद हमारे हिज्र में लफ़्ज़ों का हाथ था By Sher << घर में बेचैनी हो तो अगले ... कहते हैं इन शाख़ों पर फल ... >> शायद हमारे हिज्र में लफ़्ज़ों का हाथ था इक लफ़्ज़-ए-ग़ैर ने तो पराया ही कर दिया Share on: